सर्वप्रथम पांच गुलाब के खिले हुए फूल लें तथा डेढ़ मीटर सफेद कपडा लें। कपड़े को अपने सामने बिछा लें। मुख पूर्व दिशा की तरफ हो। इन फूलों पर 21 बार गायत्री मंत्र का जाप करते हुए उन्हें एक-एक कर के बिछे हुए कपडे़ पर रखते जाएं। पांचवें फूलों पर गायत्री मंत्र का पाठ कर चुकने के बाद इनको बहते पानी में प्रवाहित करें। इस क्रिया को और जल प्रवाह भी रविवार को ही करना है।
मंगलवार के दिन सात साबुत डंठल सहित हरी मिर्च तथा नींबू लें। इसके बाद इन्हें धागे में पिरो लें। तीन मिर्च उुपर तथा चार मिर्च नीचे होना चाहिएं। बीच में नीबूं होना चाहिए। इसको दुकान के बाहर टांग दें। ऐसा हर मंगलवार को करें। इससे व्यापार में वृद्धि होगी तथा दुकान को नजर भी नहीं लगेगी और जादू-टोने का असर भी नहीं होगा। यह क्रिया शनिवार को भी कर सकते हैं।
शनिवार को छोड़ कर किसी भी दिन एक पीपल का पत्ता ले कर, गंगा जल से धो कर, उस पर तीन वार ‘‘नमः भगवते वासुदेवाय’’ लिख कर, पत्ते को पूजा स्थल पर रख लें। उसकी आराधना करें। नित्य धूप, अगरबत्ती की धूनी दें, तो ईष्वर की कृपा से सब बाधाएं दूर हो जाएंगी।
कई बार बहुत परिश्रम के बाद व्यापार में वृद्धि नही होती, तो इस उपाय को करें:शनिवार को एक पीपल का पत्ता ले कर, गंगा जल से धोएं। अगर गंगा जल न हो, तो दूध से धो लें। आप जहां बैठते हैं, वहां इस पत्ते को अपने पास रख लें। अगले शनिवार एक पत्ता और लाएं। फिर वैसा ही करें। जब सात शनिवार में सात पत्ते हो जाएं, तो इन सातों पत्तों पर जय वीर हनुमान लिख कर नदी, या नहर में जल प्रवाह करें। इससे व्यापार में वृद्धि होती रहेगी।