यहां कुछ सरल उपाय दिए जा रहे हैं जो दाम्पत्य जीवन में व्याप्त गृह कलह के शमन में कुछ सीमा तक सहायक हो सकते हैं।
यदि पति-पत्नी के मध्य वाक युद्ध होता रहता है तो जिस व्यक्ति के कारण कलह होता हो उसे बुधवार के दिन कुछ समय के लिए (दो घंटे के लिए) मौन व्रत धारण करना चाहिए।
यदि पति-पत्नी के मध्य परस्पर सामंजस्य एवं सहयोग की भावना का अभाव हो तो उन्हें गुरुवार को साथ-साथ राम-सीता मंदिर या लक्ष्मीनारायण मंदिर जाकर भगवान को पुष्प एवं प्रसाद चढ़ाने चाहिए तथा प्रेम का वातावरण घर में बना रहे ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए और प्रसाद का भोग लगाकर मंदिर में बांटना चाहिए!
पति को चाहिए कि वह शक्रवार अपनी जीवन संगिनी को सुंदर पुष्प या इत्र की शीशी भेट करे तथा उसके साथ सफेद मिठाई खाए।
घर के वातावरण को सुखमय बनाए रखने के लिए घर में गमले में सुगंधित सुंदर पुष्प के पौधे लगाने चाहिए। बड़े कमरे में कृत्रिम सुंदर पुष्प युक्त गमले सजा कर रखें।
यदि किसी के जीवन साथी की जन्म कुंडली में आठवें भाव में शनि या राहु स्थित हो तो दूसरे को नीले या काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
यदि किसी जातक की पत्नी की जन्मकुंडली में आठवें भाव में मंगल स्थित हो तो गृह कलह का कारण बनता है। इस मंगल के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए महिला जातक को निम्न उपाय करने चाहिए।
समय समय पर विधवा स्त्री का आ्यीर्वाद लेती रहे।
रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटीे।
अपने शयन कक्ष में लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर रखे।
शयन कक्ष में गमले में मोर पंख सजाकर इस प्रकार रखे कि वे कमरे के बाहर से दृष्टिगोचर न हों किंतु पति-पत्नी को पलंग से नजर आते रहें।
घर में कलह से मुक्ति के लिए परिवार की स्त्रियों को सूर्योंदय से पूर्व जागना चाहिए और सूर्योदय से पूर्व ही घर की सफाई कर लेनी चाहिए।
सूर्य के अ्युभ फल को दूर करने के लिए शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को धूप-दीप-नैवेद्य चढ़ा कर हाथ में मौली (कलावा) छः बार लपेट कर बंधवाएं। फिर सूर्य को प्रणाम कर जल में रोली और गुलाब जल की कुछ बूंदें डाल कर तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।