सुबह सो कर उठने के साथ ही प्रतिदिन अपनी हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखें और उन्हें तीन बार चूमें। शनिवार के दिन से इसे प्रारंभ करें तथा इसके बारे में किसी से चर्चा न करें, यदि संभव हो तो हर बार हथेली चूमने से पहले यह मंत्र बोलें।
कराग्रे बसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती ।
कर मूले च गोविंदे, प्रभाते कर दर्षनम् ।।
तथा नासिका स्वरों में दांये, या बांये, जो स्वर स्पश्ट हो, उसके अनुसार अपने पैर को जमीन पर रखें।
एकाग्र होकर यह देखें कि नाक के छिद्रों में से दायां स्वर चल रहा अथवा बायां। जो भी स्वर चल रहा हो, सर्वप्रथम उस ओर के हाथ की उंगली से धरती को स्पर्ष करके माथे पर लगायें और उसके बाद पहले स्वर चलने वाला पैर ही धरती पर छुआऐं।
स्नान के पष्चात् भगवान सूर्य देव को ‘सूर्याय नमः’ कहते हुए एक लोटा जल दें और उसके बाद ही पूजा अराधना अथवा कोई साधना प्रारंभ करें।
भगवान की भक्ति और पूजा नियमित रूप से कीजिए। भक्ति में बड़ी ्यक्ति है। आप टोने टोटके और यंत्र मंत्र के क्षेत्र में जो कुछ भी कर पाते हैं वह सब आपकी भक्ति और ईष्वर कृपा का ही कमाल होता है।
हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ और बन्दरों को चने व फल खिलाने से महावीर हनुमान आपके सभी कार्यो को सफल करते हैं। जहाँ हनुमान जी का वास है वहाँ कोई जादू टोना अथवा ऊपरी हवा अपना प्रभाव नही दिखला पाती।
घर के बनने वाले खाने में से पहली रोटी गाय के नाम से निकालें। उसे खिलाऐं, यह संभव न हो तो उसके नाम से चिड़ियों को खिला दें। इसी प्रकार भोजन करते समय थोड़ा सा भोजन अलग प्लेट में निकाल कर रख लें और उसे चिड़ियों को डाल दें।
रात्रि का भोजन बनाते समय जो अन्तिम रोटी बने उसे कुत्ते को डाल दें। यह प्रयास किया करें कि आपके पैरों से चीटियां अथवा अन्य छोटे छोटे कीट-पतंगे कुचले न जायें।
जहाँ तक संभव हो आटा ्यनिवार को पिसवायें। और गेहुओं में सौ-दो सौ ग्राम काले चने भी मिला लें।
प्रातः काल सर्वप्रथम झाड़ू लगायें, परन्तु ्याम होने के बाद भूलकर भी झाड़ू न लगायें।
संध्या होते ही घर में रोषनी अवष्य कर दें। अधेरें घर में दरिद्रता और ऊपरी हवाऐं प्रवेष कर सकती हंै।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नियमित उन्हें लाल फूल, लाल चन्दन, गोरेचन, केसर, जावित्री, जौ अथवा तिल युक्त जल चढायें।
कार्यालय, दुकान आदि खोलने पर सर्वप्रथम अपने इश्टदेव को अवष्य याद किया करें।
बड़ों को प्रसन्न करके उनका आर्षीवाद लिया करें।
कभी कोई ऐसा कर्म न करें जिससे किसी की आत्मा अथवा शरीर को लेषमात्र भी कश्ट पहुँचे।
बैंक की किताब, चैक बुक अथवा अन्य धन संबंधी पेपर आप श्रीयंत्र अथवा कुबेर यंत्र के पास रखा करें। इसी प्रकार बैंक में पैसा जमा करते समय लक्ष्मी जी का कोई मंत्र मन ही मन जपते रहे।
मुर्गे के पेट में यदा कदा सफेद रंग की पथरी निकलती है, उसे साफ करके घर में रखें। ्युभ कार्य में जाते समय यह साथ रखें।
घर के बाहर जब भी किसी प्राप्ति के उद्देष्य से अथवा धन संबंधी किसी कार्य को निकलें तो निर्जल और निराहार न निकलें। कुछ न कुछ खा अवष्य लें। निकलने से पूर्व यदि मीठा दही खाकर निकलें तो और भी सौभाग्यषाली है।
किसी सुहागन स्त्री को गुरूवार के दिन सुहाग पिटारी अथवा श्रृंगार प्रसाधन देने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है।
महिलाओं का आदर करने से तथा कुआंरी कन्याओं का(दस वर्श से कम की) देवी स्वरूप मानकर प्रसन्न करने से सुख समृद्धि की वृद्धि होती है।
सफेद वस्तुओं का दान करने से लक्ष्मी जी आकर्शित होती है।
गुरूवार को घर के बच्चे तथा कुआंरी कन्याऐं हल्दी मिश्रित चावल चिड़ियों को खिलाऐं तो ग्रह पीड़ाओं का ्यमन होता है और घर में सुख-्यांति बढ़ती है।
किसी दरिद्र अथवा असहाय व्यक्ति की निस्वार्थ भाव से सेवा कर सकते हैं तो कर दें, उसका तिरस्कार अथवा उपहास कदापि न करें।
किसी न किसी तरह दरिद्र, असहाय और हिजड़ों की ्युभकामनाऐं लिया करें। हिजड़ों को दिए पैसे में से एक सिक्का लेकर अपने गले में डालें।
घर की दीवारों, फर्ष आदि में बच्चों को पेंसिल, चाॅक, कोयले आदि से लकीरें न बनाने दें, इससे ऋर् िबढ़ता है।
्येर का दांत मिल जाए तो जेब में रखा करें।
बरगद अथवा बड़ के ताजे तोड़े पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर पुश्य नक्षत्र में घर में रख लें।
खच्चर का दांत बुद्धवार को धोकर साफ कर लें, धन संबंधी कार्यो पर जाते समय उसे अपने साफ
रखें।
दीवाली की रात अथवा किसी ग्रहर् िकाल में एक-एक लौंग तथा छोटी इलायची जलाकर भस्म बना लें। इस भस्म से देवी देवताओं के अथवा यंत्रों पर तिलक लगाया करें
ऐसे पेड़ की टहनी, जहाँ चमगादड़ों का स्थायी वास हो, तोड़कर अपनी कुर्सी अथवा गद्दी के नीचे
रख लें।
वशीकरण करने के लिए करें इन मंत्रो का प्रयोग (Vashikaran mantra)
व्यापार संबंधी पत्राचार करते समय उस पर हल्दी अथवा केसर के छीटें लगा लिया करे।
व्यवसाय आदि ्युभ कार्यो में प्रस्थान करने से पूर्व घर का कोई भी सदस्य एक मुट्ठी काले उड़द आपके ऊपर से धरती पर छोड़ दें तो कोई भी कार्य सिद्ध होगा।
घर खाली हाथ कभी न लौटें। बिना क्रय की हुई कोई भी वस्तु घर लाने का नियम बना लें, भले ही वह राह में पड़ा कागज का टुकड़ा क्यों न हो अथवा ऐसा ही कुछ अन्य।
रविवार को सहदेई वृक्ष की जड़ घर लायें। उसे लाल कपड़े में बांध कर कहीं पवित्र स्थान पर रख दें।
काली हल्दी मिल जाऐ तो घर में रख लें।
सफेद रत्ती, एकाक्षी नारियल, दक्षिर्ािवर्ती ्यंख, हत्था जोड़ी, सियार सिंगी, बिल्ली की जेर, एकमुखी रुद्राक्ष, गोरेचन, नागकेसर, सांप की अखंडित केंचुली, मोर के पंख, अश्टगंध आदि में लक्ष्मीजी को रिझाने का विलक्ष्र् िगुर् िहोता है। इनमें जो वस्तुऐं मिल जायें, उन्हें घर में रख लें, लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं।
मिर्च तथा नीबू की तरह निर्गुण्डी की जड़ सहित पूरा पौधा, नागकेसर और पीली सरसों के दाने एक साथ किसी बुद्धवार को दुकान के द्वार पर टांगने से व्यापार की वृद्धि होती है।
पुश्य नक्षत्र में बहेड़े के वृक्ष की जड़ तथा उसका एक पत्ता लाकर पैसे रखने के स्थान में रख लें।
्यंखपुश्पी की जड़ रवि-पुश्य नक्षत्र में लाकर घर में रखें। इसे चांदी की डिब्बी में रख सकें तो अधिक ्युभ होता है।
घर में मुख्य द्वार के ऊपर गर्ेिषजी की प्रतिमा अथवा चित्र इस प्रकार से लगाऐं कि उनका मुह घर के अन्दर की ओर रहे।
मन में पूर्ण निष्ठायह निश्ठा जाग्रत कर लें कि मैं धनवान बनँूगा ही।
सूर्योदय और सूर्योस्त के समय घर में बच्चे और बीमार के अतिरिक्त अन्य कोई न सोया करें। इसी प्रकार प्रातः और सांयकाल जहाँ तक हो सके घर का प्रत्येक सदस्य प्रसन्नचित्त रहे।
कभी ऐसा देखने को मिलता है कि वृक्ष पर दूसरा वृक्ष निकल आता है। यह वृक्ष के संधि स्थल पर होता है। इसी संयोग को बांदा कहते हैं। अषोक, पीपल, अनार, गूलर, आम, बड़ आदि वृक्षों के बांदे मिल जाऐं तो शुभ मुहूर्त में घर में लाकर रख लें।
सफेद आक में लक्ष्मीजी को रिझाने का गुर्धिर्म छिपा है यह कही भी सुलभ हो तो घर में रख लें। पेड़ भी लगा लें तो और शुभ है।
हीरा रत्न यदि रास आ जाये तो अतुलित वैभव देता है।
घर में तुलसी का पौधा लगाऐं और सांयकाल वहां एक दीपक अवष्य जलाया करें।
यह धारर्ाि मन में स्थिर कर लें कि प्रारब्ध के अतिरिक्त वर्तमान जीवन में किए गये सत्कर्म भी धन संबंधी विशयों में आषानुकूल परिर्ािम देते हैं।
लक्ष्मी साधकों के लिए ऊनी और रेषमी आसन तथा कमलगट्टे की माला विषेश रूप से सिद्धि प्रदायक होती है।
प्रत्येक क्षेत्र में पवित्रता और सात्विकता को महत्व देना आवष्यक है।
लक्ष्मीजी का परमप्रिय फूल कमल माना गया हैं। परन्तु लक्ष्मीजी को तुलसी अर्थात मंजरी भेंट नही करना चाहिए।
साधना कक्ष में लक्ष्मी उपासना के समय पुश्प उनके सामने, अगरबत्ती बाऐं, नैवेद्य दक्षिण दिशा में तथा दीप सदा दांयी ओर रखें।
साधना के समय पष्चिम अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
हवन सामग्री में काले तिल, जौ, देषी घी, पताषे और कमलगट्टे भी अवश्य मिलाया करें इससे
लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं।
प्रत्येक शनिवार को घर में से गंदगी निकालने का नियम बना लें इस दिन घर के मकड़ी के जाले, रद्दी, टूटी फूटी घर में प्रयोग होने वाली सामग्री आदि घर से बाहर कूड़ें में फेंक दिया करें।
घर संबंधी कार्यो के लिए सोमवार अथवा बुद्धवार अधिक शुभ है।
घर में पूजा स्थल में एक जटा वाला नारियल अवश्य रखें।
धन संबंधी कार्य पर निकलने से पूर्व घर में उपलब्ध देवी देवताओं के चित्र, मूर्ति अथवा यंत्र के दर्शन अवश्य करें। उन पर चढ़ाऐं हुए फूलों में से एक अपनी जेब में रखकर साथ ले जाया करें।
श्रम प्रधान बनें और ऋण लेने से सर्वदा बचें रहें।
वास्तुशास्त्र से सम्बंधित उपयोगी टोटके (Useful tricks related to Vastu Shastra)
इस अध्याय में सूत्र रूप में ही ये परम प्रभावषाली टोटके संग्रहित किये गये हैं, इनकी व्याखा और लाभों का विवेचन नही किया गया। इसका कारण यही है कि इनमें से अधिंकाष के बारे में लगभग सभी व्यक्ति जानते है और कुछ तो अपनाते भी हैं। वैसे भी इनके प्रयोग के लिए किसी विषिश्ट विधि विधान की आवश्यकता नही, ये तो वे बातें हैं जिनको हमें अपनी आदत बना लेनी चाहिए। इन कार्यो को करने पर जहां ईष्वर और सभी देवी देवता आप पर परम कृपालु बने रहेंगे,वही घर में सुख और शांति और धन वैभव की वृद्धि भी स्वयं ही होती रहेगी। इन्द्रजाल और तंत्रशास्त्र की पुस्तकों में इन प्रयोगों को धन वैभव एवं ऐष्वर्य प्रदायक तथा सर्वकामना पूरक बतलाया गया है। अधिकांष धार्मिक ग्रंथों में भी इन्हें प्रत्येक सद्ग्रहस्थ द्वारा अपनाऐ जाने वाले अनिवार्य कार्यो के रूप में विवेचित किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि सतत् रूप में ये कार्य करते रहने पर हमें स्थायी रूप से लाभ प्राप्त होता रहता है। इस प्रकार हमारा घर एक आदर्श घर-दुकान में लक्ष्मीजी का सतत् वास भी बना रहता है।